IGNOU BHDE-143 Solved assignment 2023 Are you an IGNOU student pursuing the Bachelor’s degree  BHDE-143 and finding yourself overwhelmed with the challenging assignments? Worry not, because we have got you covered! Introducing our latest offering: the IGNOU BHDE-143 Solved assignment 2023!

 

IGNOU BHDE-143 Solved assignment 2023

Additionally, we understand the significance of timely submission in IGNOU’s academic environment. With our IGNOU BHDE-143 Solved assignment 2023, you can bid farewell to last-minute rush and stress. We provide you with a ready-to-submit assignment that saves you precious time and ensures you meet the deadline with confidence.

Questions

1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 

(क) संध्या समय सदन की नाव गंगा की लहरों पर इस भाँति चल रही थी, जैसे आकाश में मेघ चलते है। लेकिन उसके चेहरे पर आनन्द-विलास की जगह भविष्य की शंका झलक रही थी, जैसे कोई विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद चिंता में ग्रस्त हो जाता है। उसे अनुभव होता है कि वह बाँध, जो संसार रूपी नदी की बाए से मुझे बचाए हुए था, टूट गया है और में अथाह सागर में खड़ा हूँ। सदन सोच रहा था कि मैंने नाव तो नदी में डाल दी, लेकिन यह पार भी लगेगी? उसे अब मालूम हो रहा था कि वह पानी गहरा है, हवा तेज है और जीवन-ययात्रा इतनी सरल नहीं है, जितनी मैं समझता था। लहर यदि मीठे स्वरों में गाती है, तो भयंकर ध्वनि से गरजती है। हवा अगर लहरों को थपकियाँ देती हैं, तो कभी-कभी उन्हें उछाल भी देती है।

(ख) हमने जिस युग को अभी पार किया है, उसे जीवन से कोई मतलब न था। हमारे साहित्यकार कल्पना की एक सृष्टि खड़ी करके उसमें मनमाने तिलस्म बाँधा करते थे। कहीं फिसानये अजायब की दास्तान थी, कहीं दास्ताने खयाल की और कहीं चन्द्रकान्ता-सन्तति की। इन आख्यानों का उद्देश्य केवल मनोरंजन था और हमारे अद्भुत रस-प्रेम की तृप्ति, साहित्य का जीवन से कोई लगाव है, यह कल्पनातीत था। कहानी कहानी है, जीवन जीवन

(ग) जबरा शायद समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उस कुत्ते के प्रति घृणा की गंध तक न थी। अपने किसी अभिन्‍न मित्र या भाई को भी वह इतनी ही तत्परता से गले लगाता। वह अपनी दीनता से आहत न था, जिसने उसे आज इस दशा को पहुँचा दिया। नहीं, इस अनोखी मैत्री ने जेसे उसकी आत्मा के सब द्वार खोल दिये थे। सहसा जबरा ने किसी जानवर की आहट पाई। इस विशेष आत्मीयता ने उसमें एक नई स्फूर्ति पैदा कर दी थी, जो हवा के झोंकों को तुच्छ समझती थी।

(घ) मंडल के भवन में पग धरते ही उसकी लेखनी कितनी मर्मज्ञ, कितनी विचारशील, कितनी न्यायपरायण हो जाती है। इसका कारण उत्तरदायितव का ज्ञान है। नवयुवक युवावस्था में कितना उदण्ड रहता है। माता-पिता उसकी ओर से कितने चिंतित रहते हैं! वे उसे कुल-कलंक समझते हैं, परन्तु थोड़े ही समय में परिवार का बोझ सिर पर पड़ते ही वह अव्यवस्थित-चित्त उन्मत्त युवक कितना धेर्यशील, कैसा शांतचित्त हो जाता है, यह भी उत्तरदायित्व के ज्ञान का फल है।

भाग-ख

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 750-800 शब्दों में दीजिए

(1). प्रेमचंद के उपन्यासों का परिचय प्रस्तुत कीजिए

(2). ‘सेवासदन’ की भाषा और संवाद योजना की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए 

(3). ईदगाह’ कहानी के संरचना-शिल्प का उदाहरण सहित विवेचन कीजिए

भाग-ग

3. निम्नलिखित विषयों पर (प्रत्येक) लगभग 350 शब्दों में टिप्पणी लिखिए : 

(1) हल्कू का चरित्र

(2) ‘पंच परमेश्वर’ की भाषागत विशेषताएँ

 

(3) ‘साहित्य का उद्देश्य” का भाव पक्ष

Answer Download

               ENGLISH

              Download

 

our IGNOU BHDE-143 Solved assignment 2023 is a valuable resource that guarantees comprehensive solutions, timely submission, improved academic performance, and unmatched customer satisfaction. Take advantage of this opportunity and empower your educational journey with confidence!

More Subjects Download

error: Content is protected !!